कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में 15 विपक्षी दलों के सांसदों के मार्च ने राजनीति का पारा काफी चढ़ा दिया है। राहुल गांधी ने इस दौरान सभापति वेंकैया नायडू पर पक्षपात करने, विपक्ष की मांग पर सदन में चर्चा न कराने का आरोप लगाया। कांग्रेस के नेता ने एक गंभीर आरोप और लगाया। उन्होंने कहा कि राज्यसभा में बाहर के लोगों को बुलाकर सांसदों के साथ न केवल बदसलूकी की गई, बल्कि उनकी पिटाई भी की गई। महिला सांसदों के साथ भी बदसलूकी हुई। राहुल गांधी जब इतने गंभीर आरोप लगा रहे थे तो विपक्षी दलों के सांसद उनका समर्थन कर रहे थे। राज्यसभा में आखिरी दिन हुए शोर-शराबे और हंगामे को लेकर कई दलों के नेताओं ने अपनी चिंता व्यक्त की है।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि सरकार ही संसद भवन की कार्यवाही नहीं चलाना चाहती थी। खड़गे ने कहा कि हम लगातार सरकार से पेगासस जासूसी प्रकरण, किसानों के मुद्दे, मंहगाई समेत तमाम मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इससे भाग रही है। राहुल गांधी ने भी यही कहा। उन्होंने कहा कि संसद में विपक्ष के ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा कराने की मांग सुनी नहीं गई। इसलिए हमें सड़क पर आपके बीच आना पड़ा। संसद में इस तरह की स्थिति को शिवसेना के नेता संजय राऊत, तिरुचि शिवा समेत तमाम नेताओं ने लोकतंत्र की हत्या बताया। संजय राऊत ने कहा कि यह सत्र हुआ ही नहीं। हमारी आवाज को दबाया गया। हमने चर्चा की मांग की और इसे नहीं माना गया।
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