प्रवासी व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के लिए ई श्रम पोर्टल के तहत हिमाचल प्रदेश में राज्य स्तरीय मोनिटरिंग कमेटी व जिला स्तर पर कार्यान्वयन समिति गठित करने के माननीय उच्चतम न्यायालय के फैसले को लागू करने,मजदूरों के राशन कार्ड बनाने,मजदूरों का पंजीकरण करने व डिपुओं में उनकी राशन व्यवस्था के मुद्दों पर सीटू राज्य कमेटी का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा की अध्यक्षता में प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह व प्रदेश के श्रमायुक्त रोहित जम्वाल से मिला। दोनों ने इन मांगों को पूर्ण करने का आश्वासन दिया।
सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि कोरोना महामारी से सबसे ज़्यादा आहत मजदूर वर्ग हुआ है। देश में कोरोना की पहली और दूसरी लहर में लगभग पन्द्रह करोड़ मजदूर आंशिक अथवा पूर्ण तौर पर बेरोजगार हुए हैं। कोरोना की सबसे बड़ी मार प्रवासी व असंगठित मजदूरों पर पड़ी है। कोरोना की पहली लहर की तस्वीरें आज भी सबकी नजरों के सामने हैं जहाँ पर प्रवासी मजदूर अपने सामान,बच्चों,परिवार के साथ बेबस व असहाय होकर सैंकड़ों किलोमीटर पैदल चले व जिसमें लगभग एक हज़ार से ज़्यादा मजदूरों की मौत हो गयी। ये प्रवासी मजदूर कोरोना महामारी की मार से इस कद्र पीड़ित थे कि एक तरफ उनका रोज़गार खत्म हो गया और दूसरी ओर वे भोजन तक से वंचित हो गए। उन्हें कई-कई दिनों तक भूखा-प्यासा रहना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इन प्रवासी मजदूरों को सरकार की ओर से कोई सहायता नहीं मिली। सरकार की संवेदनहीनता के खिलाफ मजदूर संगठन सीटू के निरन्तर संघर्ष से सरकार की पूरी तरह पोल खुल गयी। भारत के माननीय उच्चतम न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर 29 जून 2021 को केंद्र व राज्य सरकारों को कुछ दिशानिर्देश दिए ताकि प्रवासी व असंगठित मजदूरों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।
माननीय उच्चतम न्यायालय ने इन मजदूरों की स्थिति पर स्वतः संज्ञान लेते हुए 31 जुलाई 2021 से पूर्व एक ई श्रम पोर्टल बनाने व 31 दिसम्बर तक स्वयं के कार्य में लगे अथवा प्रतिष्ठान व ठेकेदार के पास कार्यरत प्रवासी मजदूरों तथा आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील वर्करज़, रेहड़ी फड़ी तयबजारी, निर्माण, घरेलू कामगारों, खेत मजदूरों, दूध बेचने वालों, मछली बेचने वालों,ड्राइवरों व अन्य सभी तरह के असंगठित मजदूरों का पंजीकरण करने का निर्देश केंद्र सरकार को दिया है। न्यायालय ने कोरोना महामारी में मजदूरों को सूखा राशन,सामुदायिक रसोई चलाने व एक राष्ट्र-एक राशन कार्ड व्यवस्था लागू करने के भी आदेश दिए हैं। न्यायालय ने सभी प्रतिष्ठानों व ठेकेदारों का पंजीकरण करने व उन्हें लाइसेंस जारी करने के भी आदेश दिए हैं। हालांकि इस दिशा में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में बनने वाली राज्य स्तरीय मोनिटरिंग कमेटी के गठन के लिए हि.प्र. राज्य सरकार ने कोई भी पहलकदमी नहीं की है।
उन्होंने कहा है कि प्रदेश के असंगठित निर्माण मजदूरों के रूप में लगभग दो लाख से ज़्यादा प्रवासी मजदूर व कुल तीन लाख निर्माण मजदूर कार्यरत हैं। मनरेगा, आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील, रेहड़ी फड़ी तयबजारी, निर्माण, घरेलू कामगारों, खेत मजदूरों, दूध बेचने वालों, मछली बेचने वालों,ड्राइवरों व अन्य सभी तरह के असंगठित मजदूरों की संख्या कई लाखों में है। ई श्रम पोर्टल के माध्यम से हिमाचल प्रदेश में 20 लाख 87 हज़ार प्रवासी व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का पंजीकरण होना है।
उन्होंने एक देश – एक राशन कार्ड की व्यवस्था लागू करने,सभी प्रवासी व असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के राशन कार्ड 31 दिसम्बर 2021 से पूर्व बनाने,डिपुओं के माध्यम से राशन देने,रोज़गार गंवाने वाले सभी प्रवासी मजदूरों को 7500 रुपये का नकद हस्तांतरण करने,प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना (पीएमएसबीवाई) के अंतर्गत दुर्घटना बीमा के रूप में ई श्रम पोर्टल में पंजीकृत असंगठित अपंग मजदूरों को दो लाख व अर्ध अपंग मजदूरों को एक लाख रुपये की राशि हिमाचल प्रदेश में सुनिश्चित करने,सभी प्रवासी मजदूरों को कोरोना काल में आश्रय, मकान,सूखा राशन, सामुदायिक रसोई, मुफ्त भोजन की सुविधा उपलब्ध करवाने,महिला मजदूरों सहित सभी प्रवासी मजदूरों को समान कार्य के लिए समान वेतन देने,सभी प्रवासी मजदूरों का 31 जुलाई 2021 तक ई श्रम पोर्टल में पंजीकृत करने,सभी प्रतिष्ठानों व ठेकेदारों का अनिवार्य तौर पर पंजीकरण करने तथा अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर अधिनियम, 1979 को बहाल करने व सुप्रीम कोर्ट के निर्णयानुसार इसको प्रभावी तौर पर लागू करने की मांग की है। प्रतिनिधिमंडल में सीटू राज्य सचिव रमाकांत मिश्रा,बालक राम,दलीप सिंह,मदन लाल,रंजीव कुठियाला व रविन्द्र शामिल रहे ।
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