शिमला
“हम नहीं सुधरेंगे”….तस्वीरें बोलती हैं
माना कि,भारत का कानून कमजोर है, सुविधाओं और व्यवस्थाओं में भी कमी हो सकती है लेकिन ये तस्वीरें बोलती हैं कि क्या भारत के प्रत्येक नागरिक की देश के प्रति,समाज,परिवार और खुद के प्रति कोई नैतिक जिम्मेवारी नहीं बनती ….?
राजधानी शिमला के रामबाज़ार के पेयजल स्त्रोत की मौजूदा हालात देख कर बड़ी हैरानी होती है । राहगीरों और आमजनता की सुविधा के लिए शानदार टाइल्स लगाकर पीने के पानी का बनाया गया ये स्त्रोत आज यहां मौजूद गंदगी पर खुद आंसू बहाता होगा । नल से भी मुश्किल ही पानी टपकता हो। यहां पर पान की पीक और गंदगी फैलाने वाले कितने समझदार होंगे इसका अंदाजा यहां मौजूद गंदगी को देख कर स्वतः ही हो जाता है । रही कानून और जुर्माने की बातें तो वो तो भारतवासियों के लिए “बाते हैं बातों का क्या”….से बढ़ कर और कुछ नहीं है ।
बहरहाल नगर निगम मेयर सत्य कौंडल ने कहा कि माननीय राष्ट्रपति के दौरे को लेकर स्टाफ के व्यस्त होने के चलते मुश्किल आ रही है, उन्होंने कहा कि वैसे तो इस ओर संबंधित पार्षद की जिम्मेवारी बनती है लेकिन नगर निगम स्वतः संज्ञान लेते हुए जल्द से जल्द इसकी सफाई व्यवस्था सुधार कर पानी की नियमित सप्लाई की व्यवस्था करेगा ।
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