शिमला
आंगनबाड़ी वर्करों
आंगनबाड़ी वर्करज़ एवम हैल्परज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू “के आह्वान पर आंगनबाड़ी कर्मियों ने हिमाचल प्रदेश में पूर्ण हड़ताल की। इस दौरान सभी आंगनबाड़ी केंद्र बन्द रहे व प्रदेशभर में तीस हज़ार से ज़्यादा आंगनबाड़ी कर्मी अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरे। इस दौरान शिमला,रामपुर,रोहड़ू,ठियोग,सुन्नी,बसंतपुर,सोलन,अर्की,नालागढ़,पौंटा साहिब,शिलाई,सराहन,संगड़ाह,मंडी,जोगिन्दरनगर,सरकाघाट,करसोग,बंजार,आनी,झंडूता,हमीरपुर,नादौन,धर्मशाला,चम्बा,चुवाड़ी,ऊना आदि स्थानों पर कर्मियों ने अपनी मांगों को लेकर सड़कों पर उतरकर जबरदस्त प्रदर्शन किए।
यूनियन अध्यक्षा नीलम जसवाल व महासचिव वीना शर्मा ने कहा है कि आंगनबाड़ी कर्मी प्री प्राइमरी में सौ प्रतिशत नियुक्ति,इस नियुक्ति में 45 वर्ष की शर्त खत्म करने,सुपरवाइजर नियुक्ति के लिए भारतवर्ष के किसी भी मान्यता प्राप्त विश्विद्यालय की डिग्री को मान्य करने,वरिष्ठता के आधार पर मेट्रिक व ग्रेजुएशन पास की सुपरवाइजर में तुरन्त भर्ती करने,सरकारी कर्मचारी के दर्जे,हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन देने,रिटायरमेंट की आयु 65 वर्ष करने की मांग तथा नन्द घर बनाने की आड़ में आईसीडीएस को वेदांता कम्पनी के हवाले करके निजीकरण की साज़िश तथा डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर,पोषण ट्रैकर ऐप व तीस प्रतिशत बजट कटौती के खिलाफ सड़कों पर उतरे।
उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार को चेताया है कि अगर आईसीडीएस का निजीकरण किया गया व आंगनबाड़ी वर्करज़ को नियमित कर्मचारी घोषित न किया गया तो आंदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने नई शिक्षा नीति को वापिस लेने की मांग की है क्योंकि यह आइसीडीएस विरोधी है। नई शिक्षा नीति में वास्तव में आइसीडीएस के निजीकरण का छिपा हुआ एजेंडा है। आईसीडीएस को वेदांता कम्पनी के हवाले करने के लिए नंद घर की आड़ में निजीकरण को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस से भविष्य में कर्मियों को रोज़गार से हाथ धोना पड़ेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से वर्ष 2013 में हुए पेंतालिसवें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार आंगनबाड़ी कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंगनबाड़ी कर्मियों को हरियाणा की तर्ज़ पर वेतन और अन्य सुविधाएं दी जाएं। उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों के लिए पेंशन,ग्रेच्युटी,मेडिकल व छुट्टियों की सुविधा लागू करने की मांग की है।
उन्होंने आंगनबाड़ी कर्मियों को वर्ष 2013 का नेशनल रूरल हेल्थ मिशन के तहत बकाया राशि का भुगतान तुरन्त करने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि प्री प्राइमरी कक्षाओं व नई शिक्षा नीति के तहत छोटे बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा आंगनबाड़ी वर्करज़ को दिया जाए क्योंकि वे काफी प्रशिक्षित कर्मी हैं। इसकी एवज़ में उनका वेतन बढाया जाए व उन्हें नियमित किया जाए। उन्होंने चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी कर्मियों की प्री प्राइमरी में सौ प्रतिशत नियुक्ति न हुई तो यूनियन अनिश्चितकालीन आंदोलन का रास्ता अपनाएगी।
तो वहीं हिमाचल प्रदेश मिड डे मील वर्करज़ यूनियन सम्बन्धित सीटू ने योजनकर्मियों की अखिल भारतीय हड़ताल के आह्वान के तहत हिमाचल प्रदेश में पूर्ण हड़ताल की। मिड डे मील कर्मियों ने स्कूलों में कार्य बन्द करके जिला व ब्लॉक स्तर पर प्रदर्शन किये व प्रदेशभर में जिलाधीशों के माध्यम से भारत के प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री को ज्ञापन प्रेषित किये।
यूनियन प्रदेशाध्यक्ष कांता महंत व महासचिव हिमी देवी ने इस दौरान कर्मियों को सम्बोधित करते हुए केंद्र सरकार की मिड डे मील विरोधी नीतियों पर जमकर आलोचना की। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार मिड डे मील योजना के निजीकरण की साज़िश रच रही है। इसलिए ही साल दर साल इस योजना के बजट में निरन्तर कटौती कर रही है। इस वर्ष भी मध्याह्न भोजन योजना के बजट में चौदह सौ करोड़ रुपये की कटौती कर दी गयी है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने वर्ष 2009 के बाद मिड डे मील कर्मियों के वेतन में एक भी रुपये की बढ़ोतरी नहीं की है। उन्हें वर्तमान में केवल 2600 रुपये वेतन मिल रहा है जिसमें केंद्र सरकार की हिस्सेदारी मात्र एक हज़ार रुपये है। यह मात्र 85 रुपये दिहाड़ी है जिसमें भारी महंगाई के इस दौर में गुजारा करना असम्भव है। उन्हें हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद बारह महीने के बजाए केवल दस महीने का वेतन दिया जा रहा है। उन्हें छुट्टियां,ईपीएफ,मेडिकल आदि कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। उन्हें वेतन तीन से छः महीने के अंतराल में मिलता है। इस तरह उनका भारी शोषण किया जा रहा है।
उन्होंने सरकार से मांग की है कि मिड डे मील कर्मियों को न्यूनतम वेतन नौ हज़ार रुपये दिया जाए। उन्होंने महिला कर्मियों के लिए वेतन सहित छः महीने का प्रसूति अवकाश देने की मांग की है। उन्होंने 45वें व 46वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिश अनुसार कर्मियों को नियमित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि मिड डे मील वर्करज़ स्कूल में सभी तरह का कार्य करते हैं अतः उन्हें ही मल्टी टास्क वर्कर के रूप में नियुक्त किया जाए। उन्होंने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर योजना पर रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कर्मियों को साल में दो ड्रेस,बीमा योजना लागू करने,रिटायरमेंट पर चार लाख रुपये ग्रेच्युटी देने,दुर्घटना में पचास हज़ार रुपये,मेडिकल सुविधा लागू करने व सभी प्रकार की छुट्टियां देने की मांग की।
More Stories
🌹🌹 *आज का पंचांग* 🌹🌹
प्रदेश सरकार स्कूली पाठयक्रम में स्वास्थ्य शिक्षा को शामिल करने पर कर रही विचार: मुख्यमंत्री
देवभूमि में मंदिरों में दर्शन के लिए 1100 रु का शुल्क लगाना सरकार का दुर्भाग्यपूर्ण फैसला : बिक्रम ठाकुर