‘तबाही का मंजर ऐसा कि देखा न जा सके’’
पांवटा साहिब
जिला सिरमौर के पांवटा साहिब क्षेत्र में सिरमौरी ताल गांव में आफत के रूप में बरसा पानी (बादल फटा), 100-100 फुट लम्बे साल के पेड़ जड़ों से उखड़कर 1-1 किलोमीटर दूर तक पहुंच गए। मकानों से भी बडी चट्टानें पानी में बह कर पक्के घरों को अपने साथ बहा कर ले गई।
जहां आलीशान मकान हुआ करते थे वे दलदल में तबदील हो गए, जहां लहलहाती फसलें होती थीं वे पत्थरों के ढेर में बदल गई।
शायद 4 सदी बाद ऐसा भयावह दृष्य सिरमौरी ताल में पैदा हुआ होगा। 402 वर्ष पहले सिरमौर रियासत की राजधानी थी सिरमौरी ताल और वह राजधानी किसी प्राकृतिक आपदा से खण्डरों में तबदील हो गई थी जहां से महाराजा ने नाहन की और रूख किया व नाहन सिरमौर रियासत की राजधानी बनी।
आज दोबारा 4 सदी बाद यह आफत आई। एक ही परिवार के 5 सदस्य जमींदोज़ हो गए, श्री कुलदीप, श्रीमती जीतो देवी, श्रीमती रजनी व दो मासूम बच्चे- नितेश 12 वर्ष व दीपिका 10 वर्ष, सिर्फ जीवित रहा तो रजनी का पति विनोद। यानि विनोद ने अपने माता-पिता, पत्नी व दोनों बच्चों को अपनी आंखों के आगे सैलाब में दफन होते देखा।
More Stories
अंतरिक्ष क्षेत्र में एक के बाद एक उपलब्धियाँ हासिल करना भारत और उसके वैज्ञानिकों का स्वाभाविक गुण बन गया है : कश्यप
सिरमौर भाजपा की नवर्निवाचित पदाधिकारियों की पहली बैठक आयोजित
इंदिरा गांधी ने अपनी गद्दी को बचाने के लिए उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना की : बिंदल