नीरज चोपड़ा, यह वो नाम जिसने भारतीय एथलेटिक्स में एक नई जान फूंक दी है। भारत के पहले ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट एथलीट नीरज की कहानी ही कुछ अलग है। भाला फेंक का यह खिलाड़ी आज दुनिया के महान खिलाडि़यों में शामिल है, लेकिन एक समय था, जब वह वर्कआउट करना भी पसंद नहीं करते था।
एक समय उनका वजन काफी था और इसी वजन को कम करने के लिए उन्होंने वर्कआउट शुरू किया था और फिर किस्मत और उनकी मेहनत उन्हें टोक्यो ओलंपिक तक ले आई। पानीपत के किसान परिवार से आने वाले इस लड़के का वजन शुरू में काफी था, वह जब 12 साल के थे, तब उनका वजन 90 किलो था। इस भारी वजन को कम करने के लिए उन्होंने अपने शरीर पर मेहनत करना शुरू किया या यूं कहें कि उनके परिवार ने उन्हें अपने शरीर पर मेहनत करने के लिए उकसाया। उन्होंने फिर रुख किया शिवाजी स्टेडियम का और यहां से उनके करियर ने एक अलग मोड़ ले लिया। शिवाजी स्टेडियम पर उनकी मुलाकात हुई भाला फेंक खिलाड़ी जय चौधरी से। जय ने उनसे भाला फेंकने को कहा और पहले ही प्रयास में वह नीरज से प्रभावित हो गए और फिर यहां से उनका स्वर्णिम सफर शुरू हुआ।

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