December 12, 2024

चार लेबर कोड व आउटसोर्स कर्मचारियों की मांगों को लेकर सीटू ने किए प्रदेशव्यापी धरना प्रदर्शन

शिमला

केंद्र व प्रदेश की सुक्खू सरकार की मजदूर, कर्मचारी व जनता विरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियनों व राष्ट्रीय फेडरेशनों के आह्वान पर हिमाचल प्रदेश के जिला मुख्यालयों पर मजदूरों ने प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए। ये प्रदर्शन मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों को रद्द करने, आउटसोर्स कर्मियों के लिए नीति बनाने व नौकरी से निकाले गए कर्मियों को बहाल करने, भारी महंगाई पर रोक लगाने, योजना कर्मियों को नियमित करने, सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण को रोकने व मजदूरों का न्यूनतम वेतन 26 हज़ार रुपये करने की मांगों को लेकर किए गए। शिमला के डीसी ऑफिस पर सीटू के नेतृत्व में सैंकड़ों मजदूरों ने जबरदस्त प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा, उपाध्यक्ष जगत राम, हिमाचल प्रदेश आउटसोर्स कर्मचारी यूनियन महासचिव दलीप सिंह, एलआईसी यूनियन एनजेडआईईए मंडलाध्यक्ष सुभाष भट्ट, सचिव प्रदीप मिन्हास, किसान नेता डॉ ओंकार शाद, हिमाचल किसान सभा अध्यक्ष डॉ कुलदीप सिंह तंवर, ऑल इंडिया ऑडिट एन्ड एकाउंट्स पेंशनर एसोसिएशन राष्ट्रीय महासचिव जगमोहन ठाकुर, हिमाचल प्रदेश पेंशनर एसोसिएशन नेता कुंदन शर्मा, हेमराज चौधरी, महेश वर्मा, बालक राम, रमाकांत मिश्रा, हिमी देवी, सुरेंद्र बिट्टू, राकेश कुमार, रंजीव कुठियाला, रामप्रकाश, अनिल शर्मा, अत्तर सिंह राणा, पूर्ण चंद, कपिल नेगी, प्रताप चौहान, सतपाल बिरसांटा, राकेश कुमार, सीता राम, शांति देवी, प्रीति, चन्दो देवी, सीता देवी, सरीना, निशा, विद्या देवी आदि शामिल रहे।

सीटू प्रदेशाध्यक्ष विजेंद्र मेहरा व महासचिव प्रेम गौतम ने कहा है कि केन्द्र की मोदी सरकार की नवउदारवादी व पूंजीपति परस्त नीतियों के कारण बेरोजगारी, गरीबी, असमानता व रोजी रोटी का संकट बढ़ रहा है। बेरोजगारी व महंगाई से गरीबी व भुखमरी बढ़ रही है। सार्वजनिक वितरण प्रणाली को कमज़ोर करने के कारण बढ़ती मंहगाई ने जनता की कमर तोड़ कर रख दी है। पेट्रोल, डीज़ल, रसोई गैस, खाद्य वस्तुओं के दामों में भारी वृद्धि हो रही है। उन्होंने *न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह और सभी श्रमिकों को पेंशन सुनिश्चित करने; मजदूर विरोधी चार श्रम संहिताओं और बिजली संशोधन विधेयक को निरस्त करने, कॉन्ट्रेक्ट, पार्ट टाइम, मल्टी पर्पज, मल्टी टास्क, टेम्परेरी, कैज़ुअल, फिक्स टर्म, ठेकेदारी प्रथा व आउटसोर्स प्रणाली पर रोक लगाकर इन सभी मजदूरों को नियमित करने, एनएचएम से स्वास्थ्य सचिव द्वारा तानाशाहीपूर्वक तरीके से नौकरी से निकाले गए तीन आउटसोर्स कर्मियों को बहाल करने, शहरी क्षेत्रों में विस्तार के साथ मनरेगा के तहत 375 रुपये प्रति दिन की मजदूरी पर 200 दिन कार्य दिवस प्रदान करने, मनरेगा, निर्माण तथा बीआरओ मजदूरों का श्रमिक कल्याण बोर्ड में पंजीकरण व आर्थिक लाभ बहाल करने की मांग की। उन्होंने सार्वजनिक उपक्रमों के निजीकरण व विनिवेश को रोकने, नेशनल मोनेटाइजेशन पाइपलाइन व अग्निपथ योजना को खत्म करने, महंगाई को रोकने और डिपुओं में राशन प्रणाली को मजबूत कर उसे सार्वभौमिक बनाने, आंगनबाड़ी, मिड डे मील, आशा वर्करज़ सहित सभी योजना कर्मियों को नियमित करने, बिजली बोर्ड, नगर निगमों, अन्य बोर्डों व निगमों के कर्मचारियों के लिए ओपीएस लागू करने, बीआरओ का निजीकरण रोकने व बीआरओ मजदूरों को नियमित करने, तयबजारी के लिए स्ट्रीट वेंडर्स एक्ट लागू करने, मोटर व्हीकल एक्ट में मजदूर व मालिक विरोधी बदलाव वापिस लेने की मांग की।