शिमला
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता चेतन बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश वर्तमान में एक गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, जो कांग्रेस सरकार के कुप्रबंधन और लापरवाही का परिणाम है।
राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए निर्धारित ₹6,200 करोड़ की ऋण सीमा को केवल 9 महीनों (अप्रैल से दिसंबर 2024) में ही खत्म कर दिया है। हालत ऐसे है कि सरकार ने अंतिम तिमाही के लिए अब नया ऋण लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
राज्य को हर महीने वेतन और पेंशन जैसे जरूरी खर्चों के लिए ₹2,000 करोड़ की आवश्यकता होती है। इस महिने भी सरकारी कर्मचारियों को उनका वेतन मिल चुका है लेकिन सेवानिवृत्त कर्मचारियों को पेंशन अभी तक नही मिली है। प्रदेश सरकार की यह स्थिति न केवल आर्थिक संकट को दर्शाती है, बल्कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों के प्रति सरकार की संवेदनहीनता को भी उजागर करती है।
बरागटा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विकास के लिए आवश्यक राजस्व उत्पन्न करने वाले क्षेत्रों, जैसे पर्यटन, उद्योग, और बागवानी, पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय कांग्रेस सरकार ने अपने कुप्रबंधन से राज्य को कर्ज पर निर्भर बना दिया है।
मुख्यमंत्री का यह बयान कि वेतन और पेंशन में देरी इसलिए की गई ताकि ऋण पर ब्याज बचाया जा सके, यह साबित करता है कि कांग्रेस सरकार किस प्रकार अपने आर्थिक कुप्रबंधन को छिपाने की कोशिश कर रही है।
हिमाचल प्रदेश को बेहतर प्रशासन और जिम्मेदार आर्थिक नीतियों की जरूरत है। कांग्रेस सरकार की गलत नीतियों ने न केवल राज्य को कर्ज के बोझ तले दबा दिया है, बल्कि जनता के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई है।
बरागटा ने कांग्रेस द्वारा दो वर्ष पूर्ण होने पर किए जा रहे जश्न पर टिप्पणी करते हुए कहा कि कांग्रेस इस बात का जश्न मना रही है कि उन्होंने वित्तीय कुप्रबंधन कर प्रदेश की जनता को संकट में डाला और प्रदेश को 20 वर्ष पिछे धकेल दिया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए लगातार हिमाचल प्रदेश की जनता को गुमराह करने में लगे है,जबकि कांग्रेस सरकार को अपनी गलतियों से सीख लेते हुए राज्य को इस वित्तीय संकट से निकालने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।
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